बच्चे, बूढ़े या जवान किसी में भी किसी भी प्रकार की बीमारी पनप जाती है। कई मामलों में तो इन बीमारियों का पता ही नहीं चल पाता कि यह कैसी बीमारी है लेकिन कुछ मामले में उनका पता चल जाता है। आज का यह लेख आपको शिशुओं की एक बीमारी हाइड्रोसील के बारे में बताने से यह लिखा गया है हम आपको यह बताएंगे कि हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट क्या है? साथ ही हम आपको इसके उपचार और रोकथाम के बारे में भी बताएंगे।
हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट क्या है?
आइए सबसे पहले सबसे अहम प्रश्न का उत्तर जानते हैं कि हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट क्या है। यह हम आपके ऊपर बता चुके हैं कि यह शिशु में पनपने वाली एक बीमारी है इस बीमारी के दौरान शिशु के अंडकोष में तरल पदार्थ की एक थैली जमा हो जाती है। कई मामलों में यह देखा गया है कि हाइड्रोसील खुद ही समाप्त हो जाता है लेकिन कई मामलों में आपको इसका टेस्ट करवाने की और दवा करवाने की जरूरत पड़ सकती है। और यदि यह बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसकी सर्जरी तक करवानी पड़ती है।
हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट कौन से है?
आइए अब यह जानते हैं कि हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट कौन से है और हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद क्या करना चाहिए।
* इसका सबसे आसान और सबसे बेसिक इलाज है पेल्विक अल्ट्रासाऊंड। जब डॉक्टर को इस बीमारी का पता नहीं होता है और वह जानना चाहते हैं कि क्या किसी व्यक्ति को हाइड्रोसील हो गया है तो वह हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट यानी कि पेल्विक अल्ट्रासाउंड की ओर रुख करता है। इससे उसे इस बीमारी के लक्षण और यह किस हद तक पहुंची है और किस उपचार की जरूरत है के बारे में पता चल जाता है।
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* कुछ मामलों में डॉक्टर कंप्यूटर टोमोग्राफी और सीटी स्कैन का सहारा भी लेते हैं हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट में कंप्यूटर टोमोग्राफी और सीटी स्कैन को भी शामिल किया गया है। क्योंकि ऐसा करने से अंडकोष की 3D पिक्चर्स ली जा सकती है जिससे कि आपको स्थिति को मापने में और ज्यादा मदद मिल जाती है और आपके अंडकोष की स्थिति साफ-साफ पता चलती है।
हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद कौन सा उपचार लें?
लोग अपने शिशु का हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट तो करवा लेते हैं लेकिन वह इतने ज्यादा डरे हुए होते हैं कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि उन्हें हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद किस तरह का उपचार लेना चाहिए। हालांकि यह बीमारी कुछ बड़ों में भी पाई जाती है लेकिन खासतौर से शिशु में पाई जाती है और शिशु को किसी भी दवाई को झेलने के लिए उतना सक्षम नहीं माना जाता है।
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* यदि एक बार अपने हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद उपचार करवा लिया है और आप चाहते हैं कि इस दवा की पुनरावृत्ति ना हो तो आपको इसके लिए स्क्लेरोथेरेपी का सहारा लेना चाहिए।
* यदि हाइड्रोसील बहुत ज्यादा फैल गया है और बहुत ज्यादा बड़ा हो गया है तो ऐसे मामले में व्यक्ति को तुरंत सर्जरी की ओर जाना चाहिए। हाइड्रोसील बड़ा होने पर ही सर्जरी की जाती है।
* बहुत से मामले में डॉक्टर सिरिंज और सुई का सहारा लेकर भी आपके हाइड्रोसिल को निकाल सकते हैं। ऐसा किया भी जाता है लेकिन इस दवा इस उपचार को अपनाने के बाद यह बहुत ज्यादा चांसेस रहते हैं कि आपको इस बीमारी की पुनरावृति हो सकती है इसीलिए इसका सहारा कम लोग लेते हैं।
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* कुछ बड़े लोगों में हाइड्रोसील के लक्षण नहीं देख पाते हैं ऐसे मामलों में उनका इलाज कर पाना संभव नहीं होता है।
हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाने के बाद सर्जरी करवाने से क्या होता है?
यदि कोई व्यक्ति हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट करवाता है और उसे हाइड्रोसील पाया जाता है। इसके लिए वह इलाज के रूप में सर्जरी का चयन करता है तो इससे उसे कुछ दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं जो हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं।
* हो सकता है कि व्यक्ति को संज्ञा हरण हो जाए।
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* सर्जरी करवाने के बाद व्यक्ति को इंफेक्शन होने का बहुत ज्यादा खतरा बना रहता है। इसीलिए मरीज को सबसे अलग रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि और किसी भी सर्जरी के बाद इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
* हो सकता है कि व्यक्ति को सूजन की समस्या भी हो। हालांकि यह सूजन थोड़े वक्त बाद चली भी जाती है।
* मरीज को चोट लगने के भी लक्षण बने रहते हैं।
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* कुछ मामले में हाइड्रोसील की सर्जरी करवाने के बाद व्यक्ति को यह दोबारा पनपने का खतरा बना रहता है।
इस लेख में हमने आपको यह बताया कि हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट क्या है। हमने आपको इसके उपचार और रोकथाम के बारे में भी बताया। लेकिन हम आपको यह सलाह देंगे कि हाइड्रोसील मेडिकल टेस्ट के बारे में जरूर जानकारी के लिए आपको किसी अच्छे विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के इलाज के लिए किसी लेख पर निर्भर न रहकर हमेशा किसी अच्छे विशेषज्ञ से परामर्श करें।