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माइग्रेन क्यों होता है? जानिए माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज

by Anjita Yadav

माइग्रेन एक ऐसी समस्या है जो प्रत्येक 10 में से 8 मनुष्य को पाई जाने लगी है। माइग्रेन की समस्या लगभग हर व्यक्ति को हो जाती है या फिर बहुत बार व्यक्ति छोटे-मोटे सिर दर्द को भी माइग्रेन की समस्या ही मान बैठता है।

खैर जो भी हो आज के इस लेख में हम आपको माइग्रेन को कम करने के लिए आयुर्वेदिक इलाज के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इस लेख में हम आपको यह बताएंगे कि किस प्रकार से आप कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे को अपनाकर माइग्रेन की समस्या को कम कर सकते हैं। 

माइग्रेन को कम करने के लिए आयुर्वेदिक तरीके व इलाज

माइग्रेन की समस्या में इतना ज्यादा कष्ट होता है कि व्यक्ति को लगता है कि अब उसकी जान ही चली जाएगी।

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घी और केसर के इस्तेमाल से भी माइग्रेन की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। हां आपको यह सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लग सकता है लेकिन यह एक सत्य है आसानी से मिल जाने वाला घी और केसर माइग्रेन की समस्या को कम करने के लिए बहुत ज्यादा बेहतरीन उपाय साबित हो सकता है।

इसके लिए आपको कुछ भी नहीं करना है इन दोनों को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लेना है और इस पेस्ट की कुछ बूँदे अपनी नाक में डालनी है। इस पेस्ट को नाक में डालने के बाद आपको गहरी सांस लेनी है और कुछ देर विश्राम करना हैं। आप देखेंगे कि कुछ ही देर में आपको आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं आपका दर्द धीरे-धीरे कम होने लगेगा।

शंखपुष्पी यह एक बहुत ही प्रचलित आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है और इसके इस्तेमाल से माइग्रेन को भी कम किया जाता है। इसके लिए आपको या तो इसका चूर्ण या फिर इसका सिरप इस्तेमाल करना है।

यदि आप इसका सामान्य उपयोग जानना चाहे तो आपको यह 1 ग्राम मात्रा में लेकर एक कप पानी में मिलाकर पी लेनी है आपको थोड़ी ही देर में असर दिखना शुरू हो जाएगा। इससे सिर दर्द में तुरंत राहत मिलती है और इसका इस्तेमाल दिन में एक से ज्यादा बार भी किया जा सकता है।

इन आयुर्वेदिक उपचारों से माइग्रेन होता है कम

माइग्रेन को जड़ से खत्म कर पाना तो संभव नहीं है लेकिन ऐसे बहुत से आयुर्वेदिक उपचार है जिनके माध्यम से माइग्रेन को कम अवश्य किया जा सकता है। नीचे एक-एक कर इन्हीं पर प्रकाश डाला जा रहा है।

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  • ब्रह्मी: यह जड़ी बूटी भी माइग्रेन को कम करने में व्यक्ति की मदद कर सकती है। यह बाजार में आपके चूर्ण, सिरप और गोलियों के रूप में मिलेगी।  इस जड़ी बूटी को माइग्रेन के उपचार के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी माना गया है और लोगों ने इसका इस्तेमाल भी बहुत ज्यादा किया है। यह दिमाग की स्पष्टता बढ़ाने के साथ ही उसे ताजा करने का कार्य भी करती है इसका इस्तेमाल पानी के साथ करना उचित होता है। हालांकि हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इसका इस्तेमाल कितनी मात्रा में और दिन में कितनी दफा करना चाहिए। इसके इस्तेमाल के लिए आपको किसी अच्छे आयुर्वेदिक आचार्य से ही पूछना चाहिए। 
  • जटामांसी: इसके बारे में तो लगभग हर व्यक्ति जानता हैं क्योंकि आयुर्वेद में जटामांसी का बहुत ही ज्यादा महत्व माना गया है। इसका इस्तेमाल माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है। नीचे हम आपको यह बताएंगे कि इसका इस्तेमाल माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए किस प्रकार से और किस रूप में किया जाना चाहिए। वैसे तो इसका इस्तेमाल पानी के साथ करना बहुत ज्यादा अच्छा माना जाता है लेकिन आप चाहे तो इसका तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इसके तेल का मसाला भी इस्तेमाल कर सकते हैं आपको हर तरह से ही फायदा ही पहुंचायेगा। क्योंकि जटामांसी का उपयोग मानसिक तनाव को कम करने के लिए किया जाता है इसीलिए यह माइग्रेन के दर्द को भी कम कर सकती है।

माइग्रेन के लिए आर्युवेदिक इलाज

ऐसी बहुत सी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है जिनका इस्तेमाल करने से व्यक्ति माइग्रेन के दर्द में काफी राहत का एहसास महसूस करता है।

  • गुडूची: यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी आमतौर पर चूर्ण के रूप में मौजूद होती है और इसका इस्तेमाल भी माइग्रेन के दर्द को कम करने के लिए फायदेमंद साबित होता है। आप इसका सेवन पानी के साथ भी कर सकते हैं और चाहे तो इसका तेल बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं दोनों ही रूपों में यह फायदा पहुंचाएगी।
  • नास्या: यह पुराने समय से इस्तेमाल किया जाता रहा एक बहुत ही अच्छा तरीका है। इसके तहत आपकी नाक में तेल की कुछ बूँदे डाली जाती है वह तेल कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का बना होता है और इससे आपको अपने पुराने से पुराने माइग्रेन में भी राहत मिलनी शुरू हो जाती है। 

माइग्रेन कम करने के तरीके

माइग्रेन को कंट्रोल करना बहुत ज्यादा जरूरी होता है अन्यथा यह बढ़ता ही जाता है और समय के साथ यह बहुत कष्टदाई भी साबित होने लगता है।

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  • शिरोधारा: इस आयुर्वेदिक उपचार के बारे में भी बहुत से लोग जानते हैं और बहुत से लोग माइग्रेन के दौरान इसे अपनाने की सलाह भी देते हैं। इसमें माथे पर तेल की कुछ मात्रा लगाई जाती है इसे लगाने का तरीका ही इसका मुख्य इलाज होता है।
    इससे आपको धीरे-धीरे राहत मिलनी शुरू हो जाती है और आपका माइग्रेन भी समय के साथ काम होने लगता है। खासतौर से इसमें माथे पर तेल धारा बनाकर डाला जाता है। इसमें उपयोग किए जाने वाला तेल आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का बना होता है।

निष्कर्ष

इस लेख में माइग्रेन को ठीक करने के लिए जो भी आयुर्वेदिक तरीके बताए गए हैं वह सिर्फ माइग्रेन को कम करने के आयुर्वेदिक तरीके हैं। वह किसी भी प्रकार से माइग्रेन की पूरी तरह से ठीक होने की गारंटी नहीं देते हैं।

हम आपको यह सलाह देना चाहेंगे कि इस लेख में हमने जो भी तरीके बताए हैं उन्हें किसी अच्छी आयुर्वेदाचार्य से परामर्श करने के बाद ही इस्तेमाल करें और यदि आप में इनमें आपको इनमें से किसी भी तत्व से एलर्जी है तो उसे नुस्खे को ना अपनाएं।

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1 comment

ajay सितम्बर 17, 2024 - 12:48 अपराह्न

माइग्रेन का बहुत ही बेहतरीन आयुर्वेदिक इलाज बताया है माइग्रेन का इलाज बताने के लिए शुक्रिया

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