क्वाशियोरकर एक बहुत ही घातक बीमारी है। इसके बारे में अगर समय पर ही जान लिया जाए तो काफी अच्छा होगा। आइए आज हम इसके बारे में डिस्कस करते हैं और बताते हैं कि इसे किस तरह रोका जाए, बीमारी के क्या कारण हैं, और इसके उपचार।
क्वाशियरकोर क्या है (Kwashiorkor in Hindi)
प्रोटीन की कमी और गंभीर कुपोषण की वजह से होने वाले ‘क्वाशियरकोर’ (kwashiorkor) को एडेमेटस कुपोषण भी कहा जाता है। इस रोग का कारण आहार में कैलोरी की कमी नहीं, बल्कि लगातार लंबे समय तक प्रोटीन की कमी है।
क्वाशियरकोर में रोगी के चेहरे और पैरों पर सूजन आ जाती है और पेट बढ़ जाता है। लेकिन बाकी शरीर एकदम दुबला-पतला नज़र आने लगता है।
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क्वाशियरकोर के लक्षण (Kwashiorkor ke lakshan in hindi)
प्रोटीन के लंबे कुपोषण से अक्सर बच्चों में होने वाले क्वाशियरकोर रोग के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –
- लंबे वक्त तक बना रहने वाला संक्रमण,
- निकला हुआ पेट,
- फटे नाखून,
- बालों का झड़ना और उनका रंग बदलना,
- मांसपेशियों का बड़े पैमाने पर क्षय,
- इर्रीटेशन,
- त्वचा पर लाल चकत्ते नज़र आना,
- थकावट,
- भूख न लगना,
- सुस्ती,
- बच्चों में कद-काठी का विकास रुक जाना, आदि।
ख्याल रहे कि बच्चों में प्रोटीन-कुपोषण के चलते होने वाली क्वाशियरकोर की बीमारी ‘मेरेस्मस’ (Marasmus) से भिन्न होती है। जो कैलोरी-कुपोषण की वजह से होता है।
आइए हम शिलाजीत के फायदे, नुकसान व कुछ छुपे रहस्य के बारे में आज यहां जानते हैं इसे कैसे प्रयोग किया जाना चाहिए उसके बारे में भी हम वर्णन करेंगे ।
क्वाशियरकोर होने के मुख्य कारण (kwashiorkor ke kaaran in hindi)
क्वाशियरकोर लंबे समय तक प्रोटीन के कुपोषण से होने वाला रोग है। अन्य कुपोषणजनित समस्यायें जहां खासतौर से कैलोरी की कमी के चलते होने वाले कुपोषण से जुड़ी हैं, क्वाशियरकोर में रोगी को कैलोरी की कोई कमी नहीं होती, और यह मात्र प्रोटीन की कमी से पैदा होने वाली समस्या है।
वास्तव में कुपोषण से जुड़े सभी रोगों की तरह ही क्वाशियरकोर भी निम्न आय-वर्ग में होने वाली एक व्यापक समस्या है। विकसित देशों में इसकी मिसालें अपवादस्वरूप ही मिल सकती हैं।
जबकि भारत के अलावा कांगो रिपब्लिक, दक्षिण पूर्व एशिया, युगांडा, प्यूर्तो रिको, जमैका, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में प्रोटीन के कुपोषण से होने वाले क्वाशियरकोर से पीड़ित अनेकों गरीब घरों के बच्चे आपको जहां-तहां दिख जायेंगे।
जरूरत है इन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषण प्रदान कर कुपोषण के जाल से बाहर लाने की।
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क्वाशियरकोर से बचाव का तरीका (kwashiorkor se Bachav in Hindi)
जैसा कि हम जानते हैं कि क्वाशियरकोर बच्चों में लंबे समय तक प्रोटीन के कुपोषण से होने वाला रोग है। इसलिये इससे बच्चों को बचाने के लिये उन्हें प्रोटीन से भरपूर ‘डाइट’ देना चाहिये।
डेयरी उत्पाद, बीन्स, दालें, सेम, सोयाबीन, अंडे, मांस-मछली आदि कुछ खाद्य-पदार्थ ऐसे हैं जिनमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाई जाती है। सो, इन चीजों का सेवन सुनिश्चित करते हुए हम बच्चों में प्रोटीन कुपोषणजनित क्वाशियरकोर जैसी समस्यायें पैदा होने का जोखिम ख़त्म कर सकते हैं।
बच्चों में क्वाशियरकोर की समस्या होने पर ध्यान रखने योग्य कुछ जरूरी बातें
अगर कोई बच्चा लंबे समय से क्वाशिओरकोर बीमारी से पीड़ित है तो उसे डॉक्टर की सलाह के बिना किसी दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इसके अलावा सबसे अहम बात जो ख़्याल रखने की होती है, कि क्वाशियरकोर से ग्रस्त बच्चों का उपचार करने के दौरान उन्हें ‘हाई प्रोटीन डाइट’ देने की सलाह दी जाती है। लेकिन हमें उसकी अति से बचना चाहिये।
हमें समझना चाहिए कि अचानक से ‘प्रोटीन-इनटेक’ बढ़ा देने से लिवर, किडनी आदि अंगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसलिये क्वाशियरकोर की समस्या से निजात पाने को बेहतर है कि प्रोटीनयुक्त आहार की मात्रा में वृद्धि किसी डॉक्टर अथवा डाइटीशियन की निगरानी में करें।
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क्वाशियरकोर का निदान
क्वाशियरकोर का निदान करने के क्रम में डॉक्टर सबसे पहले बच्चे का कुछ टेस्ट करवाता है। उसके स्वास्थ्य संबंधी रेकॉर्ड की जानकारी लेता है।
इस दौरान किये जाने वाले कुछ नैदानिक परीक्षण इस तरह हैं –
- शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स के ‘लेवल’ की जांच,
- लिवर और किडनी के ‘फंक्शन’ की जांच,
- शरीर में प्रोटीन व रक्त-शर्करा का स्तर पता लगाने के लिये की जाने वाली जांच। इत्यादि।
इसके अलावा बच्चे की ‘फिज़िकल ग्रोथ-रेट’ में कमी की सही-सही जांच, बॉडी-मास-इंडेक्स यानी बीएमआई, और त्वचा या बालों का परीक्षण भी क्वाशियरकोर बीमारी के निदान के दौरान किया जा सकता है।
क्वाशियरकोर बीमारी का निदान समस्या की गंभीरता को देखते हुए निर्धारित किया जाता है। इसमें शरीर में ‘इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस’ बनाने का प्रयास किया जाता है, और संक्रमण वगैरह से बचाव के लिये कुछ एंटी-बायोटिक्स दी जाती हैं।
क्वाशियरकोर के निदान में सबसे महत्वपूर्ण बात प्रोटीन के साथ ही जरूरी कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन धीरे-धीरे बढ़ाते जाना है।
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क्वाशियरकोर में दिखने वाले दुष्प्रभाव (Side effects of kwashiorkor in Hindi)
लंबे समय तक क्वाशिओरकोर लक्षणों के दिखने के बावजूद इलाज में विलंब अथवा लापरवाही अक्षम्य होती है। क्योंकि तब रोगी के दूसरे तमाम संक्रमणों की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है और तमाम अन्य दुष्प्रभाव भी नज़र आने लगते हैं।
रोग-निदान में लापरवाही होने पर क्वाशियरकोर से ग्रस्त बच्चे को ‘एडिमा’ भी हो सकता है।
इसलिये बेहतर है कि बच्चों में क्वाशियरकोर के लक्षण नजर आते ही उसके ‘ट्रीटमेंट’ की ओर ध्यान देना शुरू कर दें। बता दें कि इस बीमारी के बाद बच्चों की शारीरिक और बौद्धिक क्षमता में बहुत कमी आ सकती है।
और कुछेक मामलों में मृत्यु भी हो जाती है। इसलिये बच्चे में क्वाशियरकोर के संकेत दिखने पर उसकी अनदेखी न करें। ताकि आप इसके कुपित होने से पैदा होने वाले दुष्प्रभावों से बचे रह सकें।
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क्वाशियरकोर का उपचार (Kwashiorkor Disease Treatment in Hindi)
बच्चों में प्रोटीन की कमी के चलते होने वाली क्वाशियरकोर बीमारी के उपचार में छः से आठ हफ्ते तक लग सकते हैं। इसके उपचार में कुल मिलाकर क्वाशियरकोर बीमारी से पीड़ित बच्चे को कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा नियमित रूप से बढ़ाते हुए इस तरह से देनी होती है जो उसके शरीर में ‘अबज़ॉर्ब’ हो सके, और शरीर धीरे-धीरे स्वस्थ स्थिति की ओर अनुकूलित होता जाये।
कैलोरी और प्रोटीन के साथ ही क्वाशियरकोर से पीड़ित रोगी को आवश्यक विटामिन्स व मिनरल्स देते रहना भी अनिवार्य है। ताकि ‘रिकवरी’ समुचित ढंग से हो सके। क्वाशियरकोर में विशेष तौर पर विटामिन-बी 12 की कमी नहीं होने देनी चाहिए।
इसके साथ ही ध्यान रहे कि क्वाशियरकोर में रोगी को ‘वेज-प्रोटीन’ की बजाय नॉन-वेज स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन ग्रहण करना कहीं ज्यादा मुफ़ीद रहता है।
बच्चों को एक से दो ग्राम प्रोटीन की मात्रा उनके प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से जोड़कर दिया जाय, और साथ में लिवर की मजबूती का ख्याल भी रखा जाय, तो बच्चे में प्रोटीन-कुपोषण से संबंधित ‘रिकवरी’ में चमत्कारिक सुधार देखा जा सकता है।
ध्यान रहे, कि क्वाशियरकोर से ग्रस्त बच्चों का उपचार होने के बाद भी उनके खान-पान का कुछ वैसा ही ख्याल रखना चाहिये, वरना डॉक्टर के पास फिर से जाना पड़ सकता है।
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निष्कर्ष (Conclusion)
अब तक की चर्चा में हमने देखा कि क्वाशियरकोर नामक प्रोटीन के कुपोषण से होने वाली बीमारी क्या होती है, इसके लक्षण क्या हैं और उपचार क्या है! बच्चों में क्वाशियरकोर बीमारी ने खास तौर से गरीब और विकासशील देशों में लोगों के जीवन पर एक बुरा प्रभाव डाला है।
एक अनुमान के मुताबिक विश्व में आज बीस मिलियन से ज्यादा बच्चे क्वाशिओरकोर से पीड़ित हैं, और लगभग डेढ़ लाख बच्चे प्रतिवर्ष इससे काल के गाल में समाते जा रहे हैं।
और इसमें भी ‘साउथ-एशिया’ का क्षेत्र पहले नंबर पर आता है। ज़ाहिर है, ऐसे में हमें इस रोग के बारे में समुचित जानकारी प्राप्त करना हमारे लिए जरूरी हो जाता है। उम्मीद है कि इस वार्तालाप में दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे।
यदि आप ऊपर दी गई जानकारी से असंतुष्ट हैं और क्वाशियोरकर (kwashiorkor) के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना सवाल दर्ज करें। हमारे डॉक्टर व एक्सपर्ट आपके सवाल के जवाब तुरंत ही आपके साथ सांझा करेंगे ।
12 comments
क्वाशियोरकोर व मरास्मस में क्या अंतर है इसके बारे में भी बताएं साथ ही साथ इसके दुष्प्रभाव, कारण व इलाज के बारे में भी यदि आप बता सके तो आपकी सहायता के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूं
क्वाशियरकोर एक बहुत ही भयानक बीमारी है इस बीमारी में व्यक्ति का शरीर विकास नहीं कर पाता है और बहुत सी बीमारियों से ग्रसित हो जाता है भरपूर मात्रा में विटामिन और प्रोटीन ना मिलने पर ऐसी बीमारियों से ग्रसित हो जाता है क्वाशियरकोर जैसी भयानक बीमारियों से हमें खुद का और हमारे बच्चों का बचाव करना चाहिए और भरपूर मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते रहना चाहिए आपकी यह जानकारी बहुत ही लाभदायक है |
क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor in Hindi): लक्षण, कारण, उपचार, बचाव व दुष्प्रभाव के बारे में हमें पढ़कर बहुत ही भावपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई हैं यह एक प्रकार का कुपोषण है जो अधिकतम मात्रा में प्रोटीन की कमी होने के कारण होता है और अक्सर ऐसे लक्षण गरीब बच्चों, अनाथ बच्चों में दिखाई देते हैं क्योंकि उन्हें पूरी तरह पोषण नहीं मिल पाता है उनके अंदर प्रोटीन की कमी के कारण उन्हें इस प्रकार की भयानक बीमारियों का सामना करना पड़ता है हमें ऐसे बच्चों की सहायता के लिए कदम उठाना चाहिए और उन्हें ऐसी भयानक बीमारी से बचाना चाहिए।
क्वाशिओरकोर बीमारी है इससे हमेशा बचकर और संभल कर रहना चाहिए और अच्छा भोजन करना चाहिए और हमेशा हमें प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए ताकि हम इस प्रकार की भयानक बीमारियों से बच कर अपना जीवन यापन कर सकें।
हमने यहां पर क्वाशिओरकोर के बारे में बहुत ही उपयोगी जानकारी प्राप्त की है हमें आपकी यह जानकारी बहुत अच्छी लगी है लेकिन हम कुछ सवाल आपसे पूछना चाहते हैं कि क्या इस बीमारी का इलाज संभव है यदि है तो उसके बारे में भी हमें पूरी जानकारी दें |
क्वाशिओरकोर (Kwashiorkor in Hindi): लक्षण, कारण, उपचार, बचाव व दुष्प्रभाव के बारे में हमने जाना है कि यह बहुत ही खतरनाक और भयानक महामारी है यह अधिकतर भुखमरी वाले इलाकों में होती है शरीर को पूर्ण रूप से पोषण ना मिलने पर ऐसी बीमारियां देखने को मिलती हैं और इस बीमारी में हमारे शरीर को बहुत ही ज्यादा नुकसान होता है आपने इसके बारे में जो भी यहां पर बताया है वह सभी बातें बहुत ही प्रभावपूर्ण हैं और इसे पढ़ने से हमें बहुत ही ज्यादा नॉलेज भी प्राप्त हुई है।
क्वाशिओरकोर बीमारी में शरीर का विकास पूरी तरह रुक जाता है और इसकी वजह से शरीर में बहुत सी बीमारियां पनपती हैं क्या क्वाशिओरकोर बीमारी का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है यदि हां तो इसके बारे में हमें बताएं
क्वाशिओरकोर भुखमरी अथवा शरीर को पूरी तरह से पोषण ना मिलने पर होती है तो क्या इसके विपरीत जैसे हम ऐसे रोगियों को पोषण अथवा प्रोटीन वाला भोजन प्रदान करें तो क्या वह इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं हम आपसे इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं ???
क्वाशिओरकोर जैसी बीमारी यदि किसी को हो जाती है तो उस व्यक्ति को अधिक से अधिक मात्रा में भोजन देना चाहिए और उसे खाने में पोषण से भरपूर भोजन ही देना चाहिए ताकि वह इस बीमारी से जल्द से जल्द छुटकारा पा सके।
क्वाशिओरकोर बीमारी ऐसी बीमारी है जो भुखमरी के कारण उत्पन्न होती है यह बीमारी यदि किसी को हो जाती है तो उसके शरीर को पूरी तरह से नष्ट कर देती है उसे तरह-तरह की बीमारियां हो जाती हैं ऐसी बीमारियों से बचने के लिए शरीर में प्रोटीन तथा विटामिन की मात्रा पूर्ण रूप से होनी चाहिए ऐसी बीमारियों से बचने के लिए प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए।
यह बहुत ही पीड़ा जनक और भयानक महामारी है जो कि भुखमरी जैसे इलाकों में अक्सर व्यक्तियों में देखने को पाई जाती है यदि क्वाशिओरकोर बीमारी के व्यक्ति को सही समय पर नियमानुसार प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन करवाया जाए तो वह व्यक्ति धीरे-धीरे इस बीमारी से बाहर निकल सकता है और इस भयानक बीमारी से निजात पा सकता है क्या यह मेरा कथन सत्य है मेरे इस वाक्य के बारे में अपनी राय अवश्य दें।
अपने यहां पर कुपोषण को लेकर जो भी जानकारी दी है यह सभी जानकारी बहुत ही जरूरी और आवश्यक है हर व्यक्ति के लिए क्योंकि कुपोषण की समस्या बहुत ही गहन और सोच का विषय है हर व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य का भली भांति ख्याल रखना चाहिए अच्छी तरह पालन पोषण करना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति ऐसे कुपोषण का शिकार ना हो |