दोस्तों जैसे ही किसी को पता चलता है कि वह माता-पिता बनने वाले हैं तो उनके मन में पहला प्रश्न यह उठता है कि उन्हें लड़का होगा या लड़की। वह अंदाजा लगाकर लड़का और लड़की के नाम तक रखना शुरू कर देते हैं। ऐसे में वह सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड भी करवाते हैं।
वैसे तो यह किसी भी गर्भवती महिला के लिए जरूरी होता है जिससे कि उसके गर्भ की स्थिति का पता चल सके। लेकिन सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह भी पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़का है या फिर लड़की। आज हम आपको इसी के कुछ संकेत के बारे में बताने जा रहे हैं।
सोनोग्राफी या फिर अल्ट्रासाउंड में लड़का होने के संकेत
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वैसे तो सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड को देखकर यह बता पाना कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की बहुत मुश्किल है। यह काम मात्र अनुभवी चिकित्सकों द्वारा ही किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने इसका प्रशिक्षण लिया होता है। लेकिन फिर भी कुछ संकेत ऐसे हैं जिनके माध्यम से आप लड़का या फिर लड़की होने का अंदाजा लगा सकते हैं। हम आपको इन्हीं संकेतों के बारे में बता रहे हैं।
- गर्भावस्था की पहली तिमाही में यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की। डॉक्टर इसका पता बच्चों की दिल की धड़कन को सुनकर लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब गर्भ में लड़की पल रही होती है तो उसके दिल की धड़कन 155 से ऊपर होती है या फिर 138 से नीचे होती है। वहीं दूसरी ओर यदि गर्भ में लड़का पल रहा होता है तो उसके दिल की धड़कन 138 से 155 के बीच होती है।
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- गर्भ में पल रहे शिशु के सिर का आकार देखकर भी यह पता लगाया जा सकता है कि वह एक लड़का है या फिर लड़की। ऐसा करने के लिए गर्भ की आयु कम से कम 12 हफ्तों की होनी चाहिए।
- स्त्री और पुरुष पूर्ण रूप से एक दूसरे से अलग है। उनकी शारीरिक बनावट एक सी नहीं होती। इसीलिए जब वह गर्भ में पल रहे होते हैं तो उनके बड़े होने की विधि भी अलग-अलग होती है। कई बार डॉक्टर यह देख कर भी अंदाजा लगा लेते हैं कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या फिर लड़की।
- जब गर्भावस्था का 11वां या फिर 13वां हफ्ता चल रहा होता है तो भ्रूण की टांगों के बीच में ट्यूबरकल होता है जिसे देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह एक लड़का है या फिर लड़की। यह ट्यूबरकल ही बड़ा होने पर लिंग का रूप ले लेता है। यदि ट्यूबरकल का कोण रीढ़ की हड्डी से 30 डिग्री बड़ा बने तो समझ जाना चाहिए कि गर्भ में पल रहा शिशु एक लड़का होगा। वही दूसरी ओर ट्यूबरकल का कोण रीढ़ की हड्डी से 30 डिग्री से कम बने तो समझ जाना चाहिए कि आने वाला बच्चा एक लड़की होगी।
इतना ही नहीं बल्कि आप प्रेगनेंसी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथा जीवन में काम आने वाले उपयोगी तत्वों के बारे में जरूरी जानकारी के बारे में अध्ययन कर सकते हैं जैसे की गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है।
मित्रों यह तरीके आपको शत प्रतिशत सही रिजल्ट देंगे। लेकिन फिर भी जन्म से पहले गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग की जांच गैरकानूनी है और आप ऐसा कदापि न करें। यदि आप यह सोच कर लिंग की जांच करवा रहे हैं कि कन्या हुई तो आप उसे नहीं रखेंगे या फिर आप कन्या भ्रूण हत्या के बारे में सोच रहे हैं तो इसके लिए सरकार ने बहुत से सजा के प्रावधान बनाए हुए हैं और आपको भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
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निष्कर्ष
भले ही हमने इस लेख में आपको भ्रूण की लिंग की पहचान करने के तरीके बताएं हैं। लेकिन हम किसी भी प्रकार से कन्या भ्रूण हत्या को समर्थन नहीं करते हैं। कन्या भ्रूण हत्या करना एक जुर्म है। हमें लड़का और लड़की दोनों को ही एक सा मनाना चाहिए।
1 comment
क्या वाकई में सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड की सहायता से गर्भ में पलने वाले शिशु के लिंग की जांच की जा सकती है क्या डॉक्टर हमें शिशु के लिंग के बारे में बता सकते हैं ??